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गौवंश सड़कों पर: ‘काऊ सेस’ धरती निगल गई या आसमान खा गया?

मोगा की सड़कों पर घूमते आवारा पशु! जनता पूछ रही है-आखिर जवाबदेह कौन?द

बीट्स न्यूज नेटवर्क
मोगा।
पंजाब में हर महीने करोड़ों रुपये ‘काऊ सेस’ के नाम पर करोड़ों रुपये वसूल किए जाने के बावजूद मोगा की सड़कों पर आज भी आवारा पशु घूम रहे हैं। ये स्थिति कभी भी राहत चलते लोगों के लिए जान का खतरा बन सकती है।
शहर की सुंदरता भी आवारा जानवरों के घूमने से धूमिल हो रही है। जनता के इन दर्दभरे सवालों को आवाज दी है भाजपा पंजाब व्यापार प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष देवप्रिय त्यागी, भाजपा मोगा के पूर्व जिला अध्यक्ष राकेश शर्मा तथा प्रतिष्ठित व्यापारी व समाजसेवी अनिल बंसल ने। तीनों ने एक संयुक्त वक्तव्य जारी कर सरकार की लापरवाही पर कड़ा प्रहार किया और जवाबदेही तय करने की मांग की।

“क्या मोगा में भी किसी हादसे का है इंतज़ार?”

देवप्रिय त्यागी ने अपने वक्तव्य में हाल ही में हिमाचल प्रदेश में प्रसिद्ध पंजाबी गायक राजबीर जवांदा की आवारा पशु से टकराने के बाद हुई सड़क दुर्घटना का जिक्र करते हुए कहा —
“क्या हम मोगा में भी किसी ऐसी ही दर्दनाक घटना का इंतज़ार कर रहे हैं, तब जाकर सरकार और प्रशासन को अपनी जिम्मेदारी का एहसास होगा? जनता ‘काऊ सेस’ के रूप में ईमानदारी से पैसा दे रही है, लेकिन सरकार अपनी जिम्मेदारी से आंखें मूंदे हुए है। यह स्थिति प्रशासन की संवेदनहीनता को उजागर करती है।”
त्यागी ने आगे कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी स्पष्ट रूप से कहा है कि सरकारी लापरवाही को माफ नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसका खामियाज़ा हमेशा आम नागरिक को भुगतना पड़ता है। “दुर्भाग्य है कि पंजाब सरकार इस बुनियादी सिद्धांत को लगातार नज़रअंदाज़ कर रही है,” उन्होंने कहा।

“जवाबदेही का कानून अटका, जनता पर बढ़ा बोझ”

पूर्व जिला अध्यक्ष राकेश शर्मा ने कहा
“जवाबदेही का कानून दशकों से लंबित पड़ा है, क्योंकि इसे लागू करने से वही लोग जवाबदेह होंगे जो आज तक स्वेच्छा से शासन चला रहे हैं। जब तक जवाबदेही तय नहीं होगी, जनता यूं ही परेशान होती रहेगी।”
उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा और बुनियादी सुविधाओं की कमी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि सरकार की प्राथमिकताएं पूरी तरह भटक चुकी हैं। “मोगा ही नहीं, पूरे पंजाब में सड़कें टूटी पड़ी हैं, स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई हुई हैं और सुरक्षा व्यवस्था बदहाल है। जनता रोजमर्रा की परेशानियों से जूझ रही है, जबकि सरकार राजनीतिक रस्साकशी में उलझी है,” शर्मा ने कहा।

💰 “काऊ सेस की रकम आखिर जा कहां रही है?”
प्रतिष्ठित व्यापारी और समाजसेवी अनिल बंसल ने कहा कि सरकार जनता से बिजली बिल और वाहन खरीद पर ‘काऊ सेस’ के रूप में अतिरिक्त कर तो वसूल रही है, लेकिन उसका उपयोग किस उद्देश्य से हो रहा है, इसका कोई पारदर्शी ब्यौरा सामने नहीं आता।
“यदि यह राशि वास्तव में आवारा पशुओं के प्रबंधन पर खर्च की जा रही है तो सरकार को इसका पूरा हिसाब सार्वजनिक करना चाहिए। जनता को यह जानने का हक है कि उनके द्वारा दिया गया पैसा आखिर कहां जा रहा है,” बंसल ने कहा।

उन्होंने पड़ोसी राज्य हरियाणा का उदाहरण देते हुए कहा —
“वहां सरकार अधिकारी वर्ग को लापरवाही बर्दाश्त न करने की स्पष्ट चेतावनी दे रही है। पंजाब को भी इसी गंभीरता से काम करने की ज़रूरत है।”

जनता से अपील — आवाज उठाइए, जवाब मांगे
देवप्रिय त्यागी ने नागरिकों से अपील की कि वे सरकार की इन कमजोरियों और संवेदनहीनता के खिलाफ एकजुट होकर आवाज़ बुलंद करें।
“यह सिर्फ कर वसूली का मामला नहीं, बल्कि नागरिक सुरक्षा, जवाबदेही और शासन की संवेदनशीलता से जुड़ा मुद्दा है। अब समय आ गया है कि जनता जवाब मांगे और सरकार को उसकी ज़िम्मेदारियों की याद दिलाए,” उन्होंने कहा। यह मुद्दा सिर्फ मोगा का नहीं, पूरे पंजाब की जनता की आवाज़ बन चुका है। जब कर वसूली में कोई ढिलाई नहीं है, तो जनसेवा में लापरवाही क्यों?

द बीट्स न्यूज नेटवर्क
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