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दफ्तरी कर्मचारियों का वेतन अब 50 से घटकर होगा 19 हजार रुपये मासिक


मान सरकार के इस अन्याय के खिलाफ कर्मचारी 9 अक्टूबर को घेरेंगे सीएम मान का आवास
कर्मचारियों को 1 अप्रैल 2018 से पूर्ण वेतनमान पर रेगुलर किया जाए: जैवल जैन जिला प्रधान

द बीट्स न्यूज नेटवर्क
मोगा। समय के साथ हर विभाग में कर्मचारियों का वेतन बढ़ता है लेकिन पंजाब में अब सरकार ने नया इतिहास रचने की तैयारी कर ली है। जो अस्थायी दफ्तरी कर्मचारी 15-20 साल तक सेवाएं दे चुके हैं, उनका वेतन अब 50 हजार रुपये से कम होकर सिर्फ 19 हजार रुपये रुपये रह जाएगा, साथ ही इतनी लंबी सेवाएं देने के बाद अब उनका प्रोबेशन पीरियेड शुरू होगा। इस अन्याय के खिलाफ
पंजाब सरकार भर के दफ्तरी कर्मचारियों ने 9 अक्तूबर को मुख्यमंत्री भगवंत मान के चंडीगढ़ स्थित आवास का घेराव करने की घोषणा की है।
कर्मचारी संगठनों के अनुसार, राज्य सरकार ने शिक्षा विभाग के अधीन कार्यरत 1007 दफतरी कर्मचारियों की मौजूदा पोस्टें खत्म करते हुए उन्हें 7वें वेतन आयोग के पैमाने पर तीन साल की प्रोबेशन पर रेगुलर करने का फैसला लिया है, जिससे इनकी तनख्वाह ₹50,000 से घटाकर मात्र ₹19,000 हो जाएगी। इस निर्णय से पूरे वर्ग में गहरा रोष है।

1007 परिवारों पर संकट
कर्मचारी नेताओं का कहना है कि 15–20 वर्षों तक राज्य सरकार को सेवाएं देने के बावजूद, अब कर्मचारियों की तनख़्वाह में इस भारी कटौती से 1007 परिवारों की आजीविका और बच्चों की पढ़ाई पर गंभीर असर पड़ेगा। कई घरों के चूल्हे ठंडे पड़ने की नौबत आ सकती है।

2005 से लगातार सेवाएं फिर भी अनदेखी
सर्व शिक्षा अभियान मिड डे मील दफ्तरी कर्मचारी यूनियन के जिला प्रधान जैवल जैन ने कहा कि दफ्तरी कर्मचारी वर्ष 2005 से लगातार शिक्षा विभाग में निष्ठापूर्वक सेवाएं दे रहे हैं।
इसके बावजूद सरकारों ने हर बार इन कर्मचारियों की अनदेखी की है।
कर्मचारी मांग कर रहे हैं कि उन्हें 1 अप्रैल 2018 से शिक्षकों की तर्ज़ पर पूर्ण वेतनमान के साथ रेगुलर किया जाए और इसके लिए उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में भी याचिका दायर कर रखी है।

आर्थिक बचत के नाम पर शोषण
कर्मचारी नेताओं ने बताया कि 16 दिसंबर 2019 को वित्त विभाग ने नियमितीकरण को मंज़ूरी दी थी। कर्मचारी पहले से ही पंजाब के 5वें वेतन आयोग के अंतर्गत वेतन प्राप्त कर रहे हैं, लेकिन अब उन्हें 7वें वेतन आयोग पर रेगुलर करने की बात कही जा रही है।
उन्होंने आरोप लगाया कि यदि 1 अप्रैल 2018 से रेगुलर किया जाए तो सरकार पर कोई अतिरिक्त वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा, क्योंकि उनकी तनख़्वाह का खर्च केंद्र सरकार से मिलता है।
वहीं 7वें वेतन आयोग पर रेगुलर करने से सरकार को करीब ₹23 करोड़ की बचत होगी, यानी सरकार कर्मचारियों की तनख़्वाह में कटौती कर अपना खजाना भरने की तैयारी में है।

प्रोबेशन लगाना अनुचित
जैवल जैन ने कहा कि जो कर्मचारी पिछले 15–20 सालों से लगातार काम कर रहे हैं, उन पर अब प्रोबेशन लागू करना बिल्कुल अनुचित है। उन्होंने बताया कि कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री भगवंत मान, वित्त मंत्री हरपाल चीमा और शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस को कई बार ज्ञापन सौंपकर 1 अप्रैल 2018 से पूर्ण वेतनमान पर रेगुलर करने और प्रोबेशन न लगाने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने अब तक कोई कदम नहीं उठाया। इस कारण कर्मचारियों के पास सड़क पर उतरने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। उन्होंने चेतावनी दी कि संघर्ष के दौरान यदि कोई अप्रिय घटना घटती है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी पंजाब सरकार और शिक्षा विभाग की होगी।

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द बीट्स न्यूज नेटवर्क
7087570105

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