मोगा। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश सचिव व पूर्व विधायक डॉ हरजोत कमल ने शिक्षा व स्वास्थ्य का प्रदेश में बिगड़ती स्थिति पर कड़ी प्रतिक्रिया करते हुए कहा है कि स्कूलों के पुराने टायलेट का रेनोवेशन कराकर एक एक स्कूल में पांच पांच पत्थर लगाकर पंजाब में शिक्षा व सेहत में क्रांति नहीं आएगी, न ही प्रचार में करोड़ों रुपये बहाकर कोई क्रांति आने वाली है।डॉ हरजोत कमल ने कहा है कि जिस समय आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने मनीष सिसौदिया को पंजाब का प्रभारी व सतेन्द्र जैन को सह प्रभारी बनाकर भेजा था, उसी समय पता चल गया था कि केजरीवाल पंजाब में कौन सी क्रांति लाने वाले हैं, आम आदमी पार्टी के ये दोनों ही नेता भ्रष्टाचार के मामले में जमानत पर हैं। पंजाब की भगवंत मान सरकार ऐसी सेहत क्रांति लेकर आई है कि पहले से चल रहे वेलनेस क्लीनिक का सारा स्टाफ को नियमों के खिलाफ आम आदमी पार्टी क्लीनिक बना दिया। वहां मुख्यमंत्री के फोटो लगवा दिये। जिन वेलनेस क्लीनिक में रात को भी डाक्टर होते थे वहां आम आदमी क्लीनिक बन जाने के बाद पांच बजे क्लीनिक बंद हो जाते हैं। रात को ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधा छीन ली, ये सेहत क्राति है। ये क्रांति सिर्फ विज्ञापनों में करोड़ों रुपये बहाकर जिंदा है।डॉ हरजोत कमल ने कहा कि सिविल अस्पताल की जितनी दुर्दशा आम आदमी पार्टी की सरकार में हुई है, उतनी कभी इससे पहले नहीं हुई। मरीजों के लिए पीने का पानी तक नहीं दे पा रही है सरकार, आठ वाटर कूलर अस्पताल से चोरी हो जाएं एक रिपोर्ट तक नहीं लिखवाली जाय, इससे ज्यादा और क्या बुरा हो सकता है। वे अपने विधायक काल में 11 स्पेशलिस्ट डाक्टर सिविल अस्पताल के लिए लेकर आए थे, आक्सीजन जनरेटिंग प्लांट लगवाया था। दो करोड़ से हास्पिटल की बिल्डिंग की रेनोवेशन कराई थी। आज स्पेशलिस्ट डाक्टर ही नहीं है, जिसके चलते धर्मकोट में आमआदमी पार्टी के विधायक दविंदर सिंह लाडी ढोंस को कहना पड़ा था कि मोगा भारत का ही हिस्सा है, पाकिस्तान का नहीं, फिर क्यों मोगा से सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। जो सरकार एक्सरे मशीन तक ठीक नहीं करा सकती है, उससे क्या सुधार की उम्मीद की जा सकती है। डॉ हरजोत कमल ने कहा है कि दिल्ली के दो नेताओं को पंजाब में शिक्षा व सेहत क्रांति लाने के लिए भेजा गया था, भारत पाक के बीच तनाव के दिनों में जिस समय बोर्डर पर तनाव का माहौल था तब दोनों क्रांतिकारी पंजाब से दिल्ली भाग गये थे, जबकि बोर्डर स्टेट होने के नाते उस समय पंजाब में सरकार की सहायता की ज्यादा जरूरत थी।
