कोचिंग संस्थानों के प्रभुत्व पर अंकुश लगे, शिक्षा सुधार को लेकर नीसा सक्रिय
द बीट्स न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली। स्कूली शिक्षा की पवित्रता और प्रामाणिक शिक्षण वातावरण को बचाने के लिए नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल्स अलायंस (नीसा) ने कोचिंग संस्थानों और डमी स्कूलों के बढ़ते प्रभाव पर गहरी चिंता जताई है। इस मुद्दे पर 27 अगस्त को उच्च शिक्षा सचिव एवं यूजीसी अध्यक्ष विनीत जोशी और संयुक्त सचिव रीना सोनोवाल कौली की मौजूदगी में आयोजित बैठक में नीसा प्रतिनिधियों ने ठोस सुझाव सरकार के समक्ष रखे।
बैठक में नीसा राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा, क्षेत्रीय संयोजक (राजस्थान) दिलीप मोदी, सलाहकार डॉ अनिरुद्ध गुप्ता और उपाध्यक्ष (इनीशिएटिव) डॉ. सुशील गुप्ता शामिल हुए।
नीसा अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि कोचिंग संस्थान रटने की प्रवृत्ति को बढ़ावा दे रहे हैं और बच्चों के कौशल, मूल्याधारित शिक्षा और सर्वांगीण विकास को पीछे धकेल रहे हैं। उन्होंने बताया कि जहां सरकार का शिक्षा बजट करीब ₹78,542 करोड़ है, वहीं कोचिंग इंडस्ट्री का आकार लगभग ₹60,000 करोड़ से ऊपर पहुंच चुका है, जिस पर सरकार को हर साल ₹10,000 करोड़ से अधिक जीएसटी राजस्व मिलता है। इसका बोझ अंततः मध्यमवर्गीय परिवारों की जेब पर पड़ रहा है।
नीसा के मुख्य सुझाव
कोचिंग केवल बारहवीं कक्षा के बाद ही दी जाए। बोर्ड परीक्षाओं के अंकों को मिलाकर 50% वेटेज तय किया जाए।
प्रवेश परीक्षाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए और डमी स्कूलों पर रोक लगे। सभी स्कूलों व कोचिंग में बायोमेट्रिक उपस्थिति व जियो-टैगिंग अनिवार्य हो। भ्रामक विज्ञापनों पर सख्ती बरती जाए।
छात्रों को विभिन्न करियर विकल्पों के प्रति जागरूक किया जाए।
नीसा उपाध्यक्ष (इनीशिएटिव) डॉ. सुशील गुप्ता ने कहा कि इन सुझावों के लागू होने से छात्रों की कोचिंग पर निर्भरता घटेगी और शिक्षा प्रणाली अधिक पारदर्शी व निष्पक्ष बनेगी।
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