

फिरोजपुर से अमृतसर की दूरी 96 किलोमीटर घटेगी, पर्यटन और व्यापार को मिलेगा बढ़ावा
द बीट्स न्यूज | चंडीगढ़।
लंबे इंतज़ार के बाद आखिरकार 15 साल से लंबित फिरोजपुर–पट्टी रेल लाइन परियोजना अब हकीकत बनने जा रही है। केंद्रीय रेल मंत्रालय ने 25.72 किलोमीटर लंबी इस लाइन को जमीन पर उतारने की दिशा में औपचारिक कदम बढ़ा दिए हैं।
रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने चंडीगढ़ में मीडिया से बातचीत करते हुए पुष्टि की कि परियोजना पर जल्द ही निर्माण कार्य शुरू होगा। उन्होंने बताया कि इस रेल लाइन को वर्ष 2009-10 में मंजूरी मिली थी, लेकिन बजट और भूमि अधिग्रहण से जुड़ी अड़चनों के कारण यह योजना अब तक अटकी हुई थी।
बिट्टू ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के सहयोग से अब यह ऐतिहासिक परियोजना अमलीजामा पहनने जा रही है। उन्होंने कहा, “यह पंजाब के लिए एक ऐतिहासिक उपहार है, जो न केवल रणनीतिक बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी राज्य के विकास की नई राह खोलेगी।”
₹764 करोड़ की परियोजना से बदलेगा क्षेत्र का नक्शा
इस रेल परियोजना की अनुमानित लागत ₹764.19 करोड़ है, जिसमें से ₹166 करोड़ भूमि अधिग्रहण के लिए निर्धारित किए गए हैं। भूमि अधिग्रहण की पूरी लागत रेलवे वहन करेगा।
परियोजना के पूरा होने पर फिरोजपुर से अमृतसर की दूरी 196 किलोमीटर से घटकर लगभग 100 किलोमीटर रह जाएगी, जिससे यात्रा समय में भारी कमी आएगी। यह नया रूट जालंधर–फिरोजपुर और पट्टी–खेमकरण मार्गों को जोड़ते हुए अंतरराष्ट्रीय सीमा के नजदीक एक सीधा और वैकल्पिक रेल संपर्क प्रदान करेगा।
पर्यटन, व्यापार और रक्षा के लिए अहम कड़ी
बिट्टू ने बताया कि यह रेल लाइन न सिर्फ़ आम यात्रियों के लिए सुविधा बढ़ाएगी, बल्कि रक्षा दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध होगी। यह रूट रणनीतिक इलाकों से होकर गुज़रेगा, जिससे सैनिकों, उपकरणों और आपूर्ति की तेज़ आवाजाही सुनिश्चित होगी।
उन्होंने कहा कि इस परियोजना से करीब 10 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुंचेगा, जबकि 2.5 लाख से अधिक रोजगार अवसर पैदा होंगे। रोजाना लगभग 2,500 से 3,500 यात्री इस रेल मार्ग का उपयोग कर सकेंगे — विशेष रूप से छात्रों, कर्मचारियों और ग्रामीण मरीजों को इससे बड़ी राहत मिलेगी।
मालवा–माझा के बीच नई आर्थिक राह
नई रेल लाइन मालवा और माझा क्षेत्रों को सीधे जोड़ देगी, जिससे लॉजिस्टिक दक्षता और औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। व्यापारिक गतिविधियों में तेजी आएगी और माल परिवहन की लागत घटेगी। इससे कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य बुनियादी ढाँचों में निवेश के नए अवसर खुलेंगे।
ऐतिहासिक रूट को मिलेगी नई जिंदगी
रेल राज्य मंत्री ने कहा कि इस परियोजना की सबसे बड़ी उपलब्धि यह होगी कि यह विभाजन के समय खोए हुए ऐतिहासिक रेल रूट को फिर से जीवित करेगी। नई लाइन से फिरोजपुर–खेमकरण की दूरी 294 किलोमीटर से घटकर केवल 110 किलोमीटर रह जाएगी।
अधिकारियों की मौजूदगी में हुई घोषणा
इस मौके पर डीआरएम अंबाला विनोद भाटिया, सीपीएम (निर्माण) अजय वार्ष्णेय, सीपीएम (आरएलडीए) बलबीर सिंह, एडीआरएम फिरोजपुर नितिन गर्ग और धनंजय सिंह भी मौजूद रहे।
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