मल्टी डिसीप्लिनरी लर्निंग से बच्चों में व्यापक समझ करें विकसित:जितेन्द्र कर्मन
द बीट्स न्यूज नेटवर्क
आगरा। नीसा के सहयोग से होटल जेपी पैलेस के सभागार दीवान ए खास में ग्लोबल स्कूल लीडर्स कंसोर्टियम के पांचवे अधिवेशन में सफारी किड्स की श्रृंखला के संचालक जितेंद्र कर्मन बोरिचा ने मल्टी डिसीप्लिनरी लर्निंग पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि मल्टी डिसीप्लिनरी लर्निंग का अर्थ है एक ही समय में कई अलग-अलग विषयों का उपयोग करके किसी विषय का अध्ययन कराना। यानि विभिन्न विषयों का दृष्टिकोण एक साथ लाकर विषय की व्यापक समझ बच्चों में विकसित की जा सकती है।
उदाहरण के साथ उन्होंने बताया कि विज्ञान और इतिहास के शिक्षक मिलकर एक परियोजना विकसित कर सकते हैं जिसमें छात्र किसी घटना या आविष्कार के वैज्ञानिक और ऐतिहासिक पहलुओं का समझ सकते हैं।
गणित और कहानी कहने की कला को मिलाकर आधुनिक कंप्यूटिंग की नींव रखी जा सकती है। इससे बच्चों में समस्या के समाधान का कौशल बढ़ता है। यह छात्रों को वास्तविक दुनिया की जटिलता के लिए तैयार करता है।
सम्मेलन में शिक्षा जगत की दिग्गज हस्तियां शामिल हुईं। सबसे पहले नीसा के अध्यक्ष डॉ. कुलभूषण शर्मा, उपाध्यक्ष डॉ. सुशील गुप्ता, पंकज शर्मा, मनीमेकल्ली मोहन, विनेश मैनन, नीरज ने दीप प्रज्वलित कर सम्मेलन का विधिवत उद्घाटन किया। प्रथम सत्र का प्रारंभ करते हुए सीमा नेगी ने सभी पैनलिस्ट से परिचय करवाया। जितेंद्र कर्मन बोरिचा ने एप्लीकेशन बेस्ड लर्निंग पर बल दिया।
फोरम का संचालन करते हुए सीमा नेगी ने कहा कि छात्रों को प्रश्न पूछने के लिए प्रेरित करें। छात्रों में उत्सुकता होनी चाहिए। विचार को कैसे प्रस्तुत करना है, इस पर अपने विचार व्यक्त करते हुए मुमताज ने कहा कि छात्रों के लिए पाठ योजना बनाते समय यह ध्यान रखें कि छात्रों के स्तर में अंतर हो सकता है।
वसुधा ने कहा कि इक्कीसवीं सदी की शिक्षा का उत्तरदायित्व है। उच्च बुद्धिमत्ता, सामान्य तथा निम्न बुद्धिमत्ता-सभी के स्तर को ध्यान में रखते हुए शिक्षण के विकल्पों को अपनाया जाना चाहिए।
वक्ता गिरिशी ने कहा कि हर छात्र अपने आप में विशिष्ट होता है इसलिए छात्रों में क्षमता के आधार पर भेद-भाव नहीं करना चाहिए। पीयर टीचिंग के माध्यम से उन्हें एक-दूसरे से जोड़ने का प्रयास करना चाहिए।
सीमा शेख ने फोरम में बताया कि हर बच्चे का अपना सपना होता है, जिसे वह जीता है। हर बोर्ड का छात्र अपना रोड मैप खुद बनाएं, जिस पर, हम उनकी सहायता कर सकें।
अंत में वक्ताओं ने अपना एक सपना एक विचार व्यक्त किया – सीमा शेख ने कहा कि हमेशा देना सीखो। गिरिशी ने कहा कि छात्र में उत्सुकता जगाएं। मुमताज का सपना है कि भारत के दूर-दराज का हर छात्र अंतरिक्ष को जाने। जितेंद्र का सपना संसार को कुछ बेहतर बनाना है। सीमा नेगी चाहती हैं कि विद्यालय में अभिभावक एवं हर जुड़े व्यक्ति के बीच पारदर्शिता हो।
मनीमेकल्ली मोहन ने अपने वक्तव्य में शिक्षक एवं छात्र के बहुआयामी स्वास्थ्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि उद्देश्य के साथ चलें।
इस अवसर पर विद्याशंकर गुरु की पुस्तक ‘101 सीक्रेट्स ऑफ इम्पारटिंग पॉजीटिविटी टू योर टीन” का विमोचन किया गया।
डॉ. कुलभूषण शर्मा ने भारत के इतिहास पर चर्चा करते हुए बताया कि भारत शिक्षा के कारण विश्व गुरु था। मुगल समय से पूर्व भारत 90 प्रतिशत शिक्षित था। भारत की विश्व की अर्थव्यवस्था में 30 प्रतिशत की भागीदारी थी। भारत को फिर से विश्वगुरु बनाने के लिए आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के बच्चों को आर्थिक सहायता सीधी दी जाए। उन्होंने कहा कि बहुआयामी व्यक्तित्व के निर्माण के लिए कोचिंग पर लगाम लगाई जानी आवश्यक है। शिक्षा में समानता होनी चाहिए, तभी देश विश्वगुरु बन सकेगा।
द फेंटास्टिक फोरम के द्वितीय सत्र में वसुधा नीलमणि ने बताया कि किस प्रकार नई पीढ़ी के छात्रों में किस प्रकार संस्कृति , मूल्यों का रोपण किया जा सकता है। देविका चटर्जी ने बताया कि बच्चों को कहानियों के माध्यम से उनमें संस्कार भी भरे जा सकते हैं, देशभक्ति भी साथ ही विषय को बेहतर ढंग से समझाया जाना ज्यादा उपयोगी साबित हो सकता है। छात्रों को पढ़ने की आदत डालें। उन्हें सही-गलत की पहचान बताएं।
डॉ. नीलम मलिक ने बताया कि हम जीवन में हारने के भय और आशा में जीते हैं। बच्चों में विवेक और बुद्धि का विकास किया जाना चाहिए। ए आई से डरने की बजाय स्मरण शक्ति को शक्तिशाली बनायें। छात्रों को अभिव्यक्ति के लिए प्रेरित करें। डॉ. कविता ने कहा कि हमारी संस्कृति हमारा विश्वास हैं। ये सब काल्पनिक नहीं हैं, हमारा सच हैं। हेमंत भल्ला ने कहा कि शिक्षक और तकनीकी को मिलकर छात्रों को आगे बढ़ाना है। छात्रों को लिखने से अधिक सुनने, बोलने पर बल दें। छात्रों को प्रश्न पूछने के लिए प्रेरित करें।
अधिवेशन का संचालन जीएसएलसी की निदेशिका पूजा ने किया।
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द बीट्स रिपोर्टर

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